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बीबीसी हिंदी सेवा का परिचय

बीबीसी की हिंदुस्तानी सेवा ने अपना पहला प्रसारण 11 मई 1940 को किया.

बीबीसी हिन्दी सेवा पिछले सत्तर वर्ष से अधिक समय से आपके लिए ताज़ा समाचार और सामयिक विषयों पर कार्यक्रम प्रसारित करती रही है. इन वर्षों में दुनिया में काफ़ी कुछ बदला है और हिन्दी सेवा हमेशा समय के साथ चलती रही है.

अगर सही ख़बर चाहिए तो बीबीसी सुनिएयह हम नहीं कहते, दुनिया भर में यह एक मुहावरा बन चुका है.

बांग्लादेश की लड़ाई हो या इंदिरा गांधी की हत्या या फिर कोई और बड़ी अंतरराष्ट्रीय घटना, ऐसे अनेक मौक़ों पर बीबीसी हिन्दी सेवा ने साबित किया है कि यह मुहावरा पूरी तरह सही है.

विश्वसनीयता ने लोकप्रियता का रास्ता अपने आप खोल दिया. एक स्वतंत्र सर्वेक्षण के अनुसार, इस समय भारत में करीब सवा करोड़ लोग हमारे प्रसारण सुनते हैं. भारत के बाहर भी हमारे श्रोताओं की बड़ी संख्या है और विदेशों में बहुत सारे लोग इंटरनेट पर हमारा प्रसारण सुनते हैं.

इंटरनेट क्रांति हमारे लिए नए अवसर लेकर आई है, आप तक पहुंचने और ताज़ा समाचार पहुंचाने का अवसर.

हर रोज़ हज़ारों लोग हमारी वेबसाइट पर आते हैं और यह आंकड़ा बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है.

हमारी टीम

वेबसाइट पर ताज़ातरीन सामग्री तत्काल उपलब्ध कराने के लिए हमारी टीम साल के 365 दिन 24 घंटे काम करती है.

लंदन ही नहीं, भारत के लगभग हर राज्य की राजधानी में हमारे पत्रकार आप तक समाचार पहुंचाने के लिए तैनात हैं.

हिंदी सेवा ने 1994 में दिल्ली में अपना ब्यूरो बनाया जिसमें देश के बेहतरीन पत्रकार रात-दिन काम करते हैं और आपके लिए ख़बरें जुटाते हैं.

बीबीसी हिंदी सेवा अपनी विशिष्ट भाषा शैली और निष्पक्षता के लिए हमेशा से जानी जाती रही है.

राजनीति से लेकर खेल के मैदान तक हर विषय पर हमारे उत्कृष्ट कार्यक्रम हिंदी पत्रकारिता को दिशा देते रहे हैं.

हमारा अतीत

बीबीसी लंदन से हिंदी में प्रसारण पहली बार 11 मई 1940 को हुआ था. इसी दिन विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे.

बीबीसी हिन्दुस्तानी सर्विस के नाम से शुरु किए गए प्रसारण का उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के ब्रितानी सैनिकों तक समाचार पहुँचाना था.

भारत की आज़ादी और विभाजन के बाद हिन्दुस्तानी सर्विस का भी विभाजन हो गया और 1949 में जनवरी महीने में इंडियन सेक्शन की शुरुआत हुई.

इस सेवा की शुरुआत भारत के जाने-माने प्रसारक ज़ुल्फ़िक़ार बुख़ारी ने की थी, बाद में बलराज साहनी और जॉर्ज ऑरवेल जैसे शानदार प्रसारक हिन्दुस्तानी सेवा से जुड़े.

पुरुषोत्तम लाल पाहवा, आले हसन, हरीशचंद्र खन्ना और रत्नाकर भारतीय जैसे शीर्ष प्रसारकों ने मोर्चा संभाला और हिंदी सेवा ने झंडे गाड़ दिए.

1950 के दशक में बीबीसी हिंदी सेवा में इंदर कुमार गुजराल ने भी पत्रकारिता और प्रसारण कौशल के क्षेत्र में अपने हाथ आज़माए, तब वे एक शर्मीले व्यापारी हुआ करते थे और 47 साल बाद भारत के प्रधानमंत्री बने.

1960 के दशक में आए महेंद्र कौल, हिमांशु कुमार भादुड़ी और ओंकारनाथ श्रीवास्तव. कैलाश बुधवार, भगवान प्रकाश, विश्वदीपक त्रिपाठी और सुभाष वोहरा 1970 के दशक में बीबीसी हिंदी सेवा से जुड़े.

बाद के दशकों में परवेज़ आलम, अचला शर्मा, शिवकांत, ममता गुप्ता, मधुकर उपाध्याय, पंकज पचौरी, सीमा चिश्ती, शाज़ी ज़मां, सलमा ज़ैदी, संजीव श्रीवास्तव आदि कई पत्रकार और प्रसारक आए और यह सिलसिला अब भी जारी है.

इस समय मुकेश शर्मा हिंदी सेवा के प्रमुख हैं.

बीबीसी हिंदी डॉट कॉम

समय बदला और अन्य संचार माध्यमों की तरह बीबीसी ने वेबसाइट की अहमियत को भी पहचाना और वर्ष 2001 में बीबीसी हिंदी डॉट कॉम की शुरुआत हुई. इसका उद्देश्य भारत और दुनिया भर के हिंदीभाषी पाठकों तक समाचार और विश्लेषण पहुंचाना था.

यह एक 24X7वेबसाइट है और पत्रकारों की एक टीम सप्ताह के सातों दिन, 24 घंटे दुनिया भर के पाठकों के लिए सामग्री उपलब्ध कराती है.

बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के पहले पन्ने पर सभी प्रमुख समाचारों को जगह दी जाती है. और इसके अलावा विश्लेषण, जनरुचि की ख़बरों और फ़ीचरों का प्रकाशन किया जाता है. हमारी वेबसाइट के अन्य इंडेक्स हैं- भारत, पाकिस्तान, चीन, खेल, मनोरंजन, विज्ञान, कारोबार, मल्टीमीडिया, ब्लॉग/फ़ोरम, बीबीसी विशेष और लर्निंग इंगलिश.

दो पूर्व प्रधानमंत्री, इंद्र कुमार गुजराल और विश्वनाथ प्रताप सिंह बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के स्तंभकार रह चुके हैं. इसके अलावा फ़िल्मकार देवानंद और मनोज बाजपेयी, कवि और लेखक निदा फ़ाज़ली, साहित्यकार असग़र वजाहत, फ़िल्म स्तंभकार कोमल नाहटा और भावना सोमैया और खेल पत्रकार प्रदीप मैगज़ीन समय-समय पर वेबसाइट से जुड़े रहे हैं.